लेखनी प्रतियोगिता -03-Jun-2023
अधूरा अभी ये हुनर है,
लगे दूर थोड़ा सफ़र है।
कभी गीत धड़कन बने हैं,
कभी मोह लेती सहर है।
कहूँ जो कभी आप बीती,
लिखी आपकी ही नज़र है।
किरण रोशनी की बनो तुम,
लगे ये ख़ुदा की महर है।
मिलेंगी कभी ये मंज़िलें भी,
दिलों को मनाना हुनर है।
© उषा शर्मा
Punam verma
04-Jun-2023 09:28 AM
Very nice
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Abhinav ji
04-Jun-2023 08:50 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
04-Jun-2023 08:29 AM
बेहतरीन रचना
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